भोपाल । आरक्षित वर्ग के 62 याचिकाकर्ता आरक्षकों को उनकी मनपसंद जगहों पर पदस्थापना के आदेश जारी कर दिए हैं।यह पदस्थापना आदेश मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के आदेश पर पुलिस महानिदेशक भोपाल ने जारी किए है। हाई कोर्ट में ओबीसी का पक्ष रखने के लिए नियुक्त विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह ने यह जानकारी दी। उन्होंने अवगत कराया कि इन याचिकाकर्ताओं को इनकी योग्यता को दरकिनार कर एसएएफ की विभिन्न् यूनिट में पदस्थ कर दिया गया था जिससे ये सभी असंतुष्ट थे। जब उनके अभ्यावेदकों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो वे याचिकाओं के जरिये हाई कोर्ट चले आए। मामले पर लंबी बहस के बाद राहतकारी आदेश पारित हुआ। ये सभी मामले 2017 में हुई पुलिस भर्ती से संबंधित थे। उनकी मुख्य आपत्ति यही थी कि जिनके अंक उनसे कम थे, उनको बेहतर पदस्थापना दी गई थी। चूंकि यह रवैया सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के विपरीत था, अत: याचिका के जरिये चुनौती दी गई। मुख्य मांग यही रखी गई कि आरक्षित वर्ग के मैरिटोरियस अभ्यर्थी होने के नाते पसंद के अनुरूप पदस्थापना की जाए। एक अन्य मामले में ई-वे बिल की मियाद खत्म होने के केवल साढे चार घंटे देरी से ट्रक के अपनी मंजिल पर पहुंचने पर स्टेट जीएसटी विभाग द्वारा करदाता पर लगाई गई 6.82 लाख की पेनाल्टी हाई कोर्ट जबलपुर ने निरस्त कर दी। फेडरेशन आफ मध्य प्रदेश चैम्बर्स आफ कामर्स एंड इंडस्ट्री के उपाध्यक्ष हिमांशु खरे ने बताया कि ई-वे बिल की मियाद से देरी कर माल पहुंचाने के मामले में विभाग की पेनाल्टी निरस्त करने का प्रदेश का यह संभवत: पहला मामला है।वहीं जीएसटी ट्रिब्यूनल नहीं होने के चलते करदाता ने सीधे हाई कोर्ट का रूख किया, यहां हाई कोर्ट ने करदाता के पक्ष को सही मानते हुए पेनाल्टी को निरस्त कर विभाग को राशि लौटाने के निर्देश दिए।