लक्ष्मी स्तवन

कल्याण दायिनी , धनप्रदे , माँ लक्ष्मी कमलासने
संसार को सुखप्रद बनाया , है तुम्हारे वास ने
चलती नहीं माँ जिंदगी , संसार में धन के बिना
जैसे कि आत्मा अमर होते हुये भी , तन कर बिना
निर्धन को भी निर्भय किया ,माँ तुम्ही के प्रकाश ने
हर एक मन में है तुम्हारी ,कृपा की मधु कामना
आशा लिये कर सक रहा , कठिनाईयों का सामना
जग को दिया आलोक हरदम , तुम्हारे विश्वास ने
संगीत सा आनन्द है , धन की मधुर खनकार में
संसार का व्यवहार सब , केंन्द्रित धन के प्यार में
सबके खुले हैं द्वार स्वागत में , तुम्हें सन्मानने
मन सदा करता रहा , मन से तुम्हारी साधना
सजी है पूजा की थाली , करने तेरी आराधना
माँ जगह हमको भी दो ,अपने चरण के पास में