अहमदाबाद   अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दूसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बनासकांठा जिले के दियोदर में बनास डेयरी, गैस प्लांट और रेडियो स्टेशन का उद्घाटन किया। इसके बाद दोपहर में जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (जीसीटीएम) की बिल्डिंग के लिए भूमिपूजन किया। इस मौके पर उनके साथ मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जगन्नाथ और WHO के डायरेक्टर जनरल डॉ टेड्रोस घेब्रेयसस भी मौजूद रहे। पीएम मोदी शाम करीब 7 बजे अहमदाबाद पहुंचे और एयरपोर्ट से इंदिरा ब्रिज तक का रोड शो पूरा कर गांधीनगर के लिए रवाना हो गए। स्वागत के लिए जगह-जगह लोगों का हुजूम था।


अलग-अलग निकलेगा दोनों पीएम का रोड शो

जामनगर में मोदी और प्रविंद साथ ही थे, लेकिन इसके बाद अलग-अलग कार्यक्रमों के चलते मोदी शाम 7 बजे अहमदाबाद एयरपोर्ट पहुंचे, तो वहीं, प्रविंद शाम 7.20 बजे अहमदाबाद पहुंचेंगे। सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का काफिला रवाना होगा। एयरपोर्ट से मोदी गांधीनगर के लिए रवाना होंगे। इसके बाद मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद गांधीनगर के लिए रवाना होंगे। इस तरह दोनों प्रधानमंत्रियों अलग-अलग रोड शो होगा। अहमदाबाद नगर निगम के स्कूली बच्चे भी दोनों प्रधानमंत्रियों के स्वागत के लिए स्कूल यूनिफॉर्म में मौजूद रहेंगे।

WHO ने भारत के साथ नई पार्टनरशिप की है : मोदी

जीसीटीएम के भूमिपूजन के मौके पर अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा - WHO ने इस सेंटर के रूप में भारत के साथ नई पार्टनरशिप की है। डॉ. टेड्रोस के साथ मेरा पुराना परिचय है और मैं उन्हें विश्वास दिलाता हूं कि आपने जिस विश्वास से भारत को यह सेंटर स्थापित करने की जिम्मेदारी सौंपी है, हम आशा और अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे। आज डायबिटीज, ओबेसिटी, डिप्रेशन जैसी अनेक बीमारियों से लड़ने के लिए भारत की योग परंपरा पूरी दुनिया के लिए बहुत काम आ रही है।'

250 करोड़ रुपए की लागत से तैयार होगा सेंटर

जामनगर में 35 एकड़ जमीन पर तैयार होने जा रहे इस सेंटर के निर्माण में करीब 250 करोड़ की लागत आएगी। यह सेंटर पारंपरिक आधार पर आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण करने वाला दुनिया का पहला केंद्र बनने जा रहा है। पारंपरिक चिकित्सा के अनुसंधान से दुनिया भर के देशों को लाभ होगा। सेंटर का निर्माण 2024 तक पूरा होने की संभावना है।


पारंपरिक औषधियों को ग्लोबल बनाएगा ये केंद्र

WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (GCTM) की स्थापना के पीछे एक सोच यही है कि यह केंद्र हमारे पारंपरिक औषधियों को दुनिया तक पहुंचा सके। ये केंद्र भारत की आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति, जिसमें कुछ पुराने घरेलू उपचार भी शामिल हैं, उन्हें दुनिया तक ले जाएगी। इससे भारत की कुछ पुरानी औषधी और इन्हें इस्तेमाल करने का तरीका भी लोगों तक पहुंचेगा। इसके अलावा यहां मौजूदा ट्रेडिशनल मेडिसिन डेटा बैंकों, पुस्तकालयों, शैक्षणिक और अनुसंधान संस्थानों के सहयोग से चिकित्सा पद्धति को बेहतर बनाने के लिए कई प्रकार के शोध भी किए जाएंगे। इस तरह ये ट्रेडिशनल मेडिसिन सेंटर आगे चलकर विश्व में भारत की चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देगा। इससे भारत का तो नाम होगा कि साथ ही विश्व कल्याण में आयुष और आयुर्वेद की भी खास भूमिका होगी।

वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र के क्या लाभ हैं?

जामनगर के गोर्धनपार में इस GCTM केंद्र के होने से कई फायदे होंगे। केंद्र पुराने स्वास्थ्य चिकित्सा रोवर और वैज्ञानिक पद्धति को बहाल करेगा, जो लोगों के लिए ज्यादा उपयोगी हो। दुनिया भर में हर कोई अलग-अलग पारंपरिक उपचार विधियों से लाभ उठा सकता है। इसी के चलते यहां पारंपरिक दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभाव सुनिश्चित किया जाएगा। इसके अलाव केंद्र प्रशिक्षण कार्यक्रम विकसित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।