आगामी 10 मार्च को विश्व वृक्क दिवस से पहले विशेषज्ञों ने कहा है कि समय-समय पर परखी गयीं 'पुनर्नवा', 'गोखरू' और 'वरुणा' जैसी जड़ी-बूटियां गुर्दे के गंभीर रोगियों के लिए जीवनरक्षक हो सकती हैं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय के डीन प्रोफेसर के एन द्विवेदी ने इन जड़ी-बूटियों को बढ़ावा देने की वकालत करते हुए कहा कि ये निष्क्रिय हो चुके गुर्दे की कोशिकाओं में नयी जान डाल सकती हैं। उन्होंने कहा, ''नीरी-केएफटी ऐसी आयुर्वेदिक दवा है जो पुनर्नवा, अश्वगंधा और गुडुची जैसे औषधीय पादपों पर आधारित है जिसमें एंटी-ऑक्सीडेंट विशेषताएं हैं।''
प्रोफेसर द्विवेदी ने कहा कि 'वरुणा' का पौधा जहां रक्त का अच्छा शोधक है वहीं 'गोखरू' किडनी के नेफ्रोन के पुनरुद्धार में सहायक है। उन्होंने कहा कि इस तरह की जड़ी-बूटियों से अनेक रोगियों ने लाभ उठाया है।
एमिल फार्मास्युटिकल ने गहन अनुसंधान के बाद नीरी-केएफटी दवा विकसित की है।