बड़वानी ।  ओंकारेश्वर से बड़वानी तक पवित्र नर्मदा नदी का तट करीब 170 किमी क्षेत्र के दायरे में फैला हुआ है। नर्मदा नदी का ये विशाल तट कई लोगों के जीविकोपार्जन का भी सहारा है। इस पर ये लोग आश्रित है। इन्हीं में से एक विशेष वर्ग केवट समाज का है। केवट समाज वर्षों से नर्मदा नदी के किनारे अपना जीवन निर्वाह कर रहे हैं। नर्मदा नदी के विविध तटों पर प्रतिदिन स्नान व विविध आयोजनों के दौरान अधिकांशत: नौकाओं पर सवार केवट और उनकी दिनचर्या दिखाई पड़ती है।

कई युवाओं को बड़े पुरस्कार से नवाजा गया

तट पर आजीविका चलाने के साथ ही कई अवसरों पर केवट समाज के युवाओं ने सराहनीय व प्रेरक कार्य कर एक मिसाल कायम की है। इसमें नदी में नौकायन व तट पर कार्य के दौरान इन्होंने पिछले दो दशक में सैंकड़ों लोगों की जानें बचाई है। कई नाविक युवाओं को बड़े पुरस्कारों से नवाजा गया है। ठीक इसी तरह बड़वानी के बैकवाटर के टापू गांव राजघाट, कसरावद, चिखल्दा व अन्य गांवों में भी केवट समाज अपनी आजीविका चलाने के साथ ही लोगों का सहारा बने हुए हैं। अकेले बड़वानी जिले में ही केवट समाज के युवाओं ने दो दशक में करीब 200 से ज्यादा डूबते लोगों के प्राण नदी की गहराई में जाने से बचाए हैं।

15 से 16 हजार लोग करते हैं जीवन यापन

मेकल केवट समाज कल्याण महासंघ मध्य प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष श्याम केवट के अनुसार निमाड़ में समाज के करीब 20 हजार लोग निवासरत है। सभी लोग नर्मदा व अन्य नदियों के किनारे निवास करते हैं। प्रमुख रूप से नर्मदा तट पर ओंकारेश्वर से महेश्वर व बड़वानी तक 170 किमी के दायरे में 15 से 16 हजार लोग नौका चलाकर जीवन यापन करते हैं। एकमात्र नर्मदा नदी ही लोगों का सहारा है। खरगोन जिले में 12 से 13 हजार तो बड़वानी जिले में पांच हजार लोग निवास करते हैं। नर्मदा मैया के तट पर आजीविका के साथ ही विविध रचनात्मक व समाजसेवी कार्यों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।

किसी ने दस तो किसी ने बीस लोगों को बचाया, बने बेहतर गोताखोर

बड़वानी के राजघाट निवासी पवन केवट के अनुसार यहां पर प्रतिदिन सुबह शाम अपनी नौकाओं के साथ तैनात युवा स्नान के दौरान डूबने वाले लोगों की भी निगरानी करते हैं। यहां पर किसी ने अब तक दस तो किसी ने बीस लोगों को डूबने से बचाया है। समय-समय पर जिला प्रशासन ने सम्मान किया है। यहां तट पर सीताराम केवट, मुकेश केवट, अनिल वर्मा, राकेश केवट, भीमा केवट सहित कुछ अन्य लोग बेहतर गोताखोर भी है।

तट की सफाई सहित अन्य सराहनीय कार्य

राजघाट निर्माण समिति के सचिन शुक्ला के अनुसार यहां राजघाट पर रहने वाले केवट समाज के कई युवा नर्मदा तटोंकी सफाई सहित अन्य सामाजिक कार्यों में बढ़-चढ़कर भागीदारी करते हुए रचनात्मक कार्य कर रहे हैं।

जलक्रीड़ा के खेलों में भी अव्वल, निमाड़ उत्सव में दिखाते हैं प्रतिभा

निमाड़ में नर्मदा नदी में होने वाले विविध जलक्रीड़ा संबंधी खेलों जैसे तैराकी, कैनो सलालम, नौका रेस आदि में भी केवट समाज के युवा भागीदारी कर अपनी प्रतिभा दिखाते हैं। महेश्वर में निमाड़ उत्सव में विविध प्रतियोगिताओं में इन्हें पुरस्कृत किया जाता है।