राक्षसराज रावण बेहद विद्वान और अहंकारी था. रावण को अपनी शक्तियों और सोने की लंका पर बहुत अभिमान था. शास्त्रों के अनुसार, आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को भगवान राम ने रावण का वध कर अपनी पत्नी सीता को उसके चुंगल से आजाद कराया था.

तभी से दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक मानकर मनाया जा रहा है. इस दिन रावण सहित कुंभकरण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है. दिवाली के ठीक 20 दिन बाद दिवाली का पर्व आता है. कहते हैं कि इस दिन भगवान राम 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या वापस लौटे थे. इस साल दशहरे का त्योहार 05 अक्टूबर दिन बुधवार को मनाया जाएगा.

क्या आप जानते हैं रावण ने कितने विवाह किए थे और उसकी कितनी पत्नियां थीं. वाल्मीकि की रामायण में रावण की पत्नी मंदोदरी का ही जिक्र मिलता है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि रावण की दो और भी पत्नियां थीं. आइए विजय दशमी के उत्सव पर आपको बताते हैं कि आखिर रावण की कितनी पत्नियां थीं और उसकी मौत के बाद पहली पत्नी मंदोदरी का क्या हुआ.

रावण की पहली पत्नी का नाम मंदोदरी था. मंदोदरी राक्षसराज मयासुर की बेटी थीं. इंद्रजीत, मेघनाद, महोदर, प्रहस्त, विरुपाक्ष भीकम वीर मंदोदरी की ही संतानें थीं. वहीं, रावण की दूसरी पत्नी का नाम धन्यमालिनी था. धन्यमालिनी ने अतिक्या और त्रिशिरार नाम के दो पुत्रों को जन्म दिया था. मंदोदरी और धन्यमालिनी के अलावा रावण की एक तीसरी पत्नी भी थी. तीसरी पत्नी का नाम अज्ञात है, लेकिन प्रहस्था, नरांततका और देवताका उसी की संतानें थीं.

रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी का क्या हुआ?
भगवान राम द्वारा रावण का वध किए जाने के बाद विभीषण लंका का राजा बन गया था. ऐसा कहते हैं कि रावण की मृत्यु के बाद विभीषण ने अपनी भाभी मंदोदरी से विवाह कर लिया था. मंदोदरी के बारे में कहा जाता है कि वो एक सती स्त्री थी, जो अपने पति के प्रति समर्पण का भाव रखती थी. इसीलिए रावण की मृत्यु के बाद मंदोदरी ने विभीषण से विवाह का प्रस्ताव ठुकरा दिया था. वह विभीषण के राजपाठ से खुद को अलग भी कर चुकी थीं, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने विभीषण से विवाह स्वीकार कर लिया था.