पाक में तीन हफ्तों का बचा विदेशी मुद्रा भंडार
इस्लामाबाद । पाकिस्तान की जनता इन दिनों छूट पर मिलने वाला सस्ता खाना खरीदने के लिए बेहाल है। देश में महंगाई 48 सालों में अपने चरम स्तर पर है और बिजली संकट ने हालात बेकाबू कर दिए हैं। पाकिस्तान इस समय वहां पर है, जहां से लौटना उसके लिए काफी चुनौतीपूर्ण है। मुद्रा संकट से लेकर मानवाधिकार और राजनीतिक संकट ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। विदेशी मुद्रा भंडार अब इस स्तर पर जहां से सिर्फ तीन हफ्तों का ही आयात किया जा सकता है। दशकों में पहली बार देश इतनी विकट स्थिति में है कि हालात श्रीलंका और घाना की तरह हो गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष यानी आईएमएफ की तरफ से पाकिस्तान को थोड़ी-बहुत मदद की उम्मीद थी। यह देश आईएमएफ से पहले भी 22 बार कर्ज ले चुका है। ऊर्जा की कीमतें आसमान पर हैं और दुनिया की अर्थव्यवस्था भी मंदी की स्थिति में है। चीन इस मुल्क का सबसे अच्छा देश है और इसने सबसे ज्यादा कर्ज दिया हुआ है। मगर अब यह भी कई बैंकों के साथ विवादों में फंसा हुआ है।
विशेषज्ञों की मानें तो हर किसी को एक घाटे का सौदा करना होगा। यह तो नहीं हो सकता कि आईएमएफ से फंड लिया जाए और फिर इसे चीनी कर्ज चुकाने में खर्च कर दिया जाए। सरकार की तरफ से तीन अरब डॉलर वाले विदेशी मुद्राभंडार को बचाने के लिए आयात पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। ऐसे में कई कंटेनर्स बंदरगाहों पर फंसे हैं। दक्षिणी-पूर्वी सिंध प्रांत में पिछले महीने छूट में मिलने वाले आटा खरीदने के चक्कर में एक व्यक्ति की जान चली गई। कई लोगों के लिए परिवार चलाना तक मुश्किल हो गया है।
राजनीतिक संकट और आतंकवाद ने देश की समस्याओं को और बढ़ा दिया है। पाकिस्तान हर बार अपना वित्त मंत्री बदलता है। हाल ही में जो आतंकी हमला हुआ, उसकी वजह से निवेशक भी अब डरने लगे हैं। उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि देश में फिर से आतंकवाद अपने पैर जमाने लगा है। आर्थिक समस्याएं एक जैसे पैटर्न पर ही चल रही हैं। आयात पर देश की निर्भरता और डॉलर के कम आने से पेमेंट का संकट पैदा हो गया है।
पाकिस्तान को आईएमएफ से 6.5 अरब डॉलर का बेलआउट पैकेज चाहिए। आईएमएफ अधिकारियों का धैर्य अब जवाब दे रहा है। आईएमएफ के अधिकारी शहबाज सरकार से कड़े उपायों को लागू करने की अपील कर रहे हैं। वो लगातार मांग कर रहे हैं कि सब्सिडी को खत्म किया जाए और नए टैक्स थोपे जाएं। वहीं प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ आईएमएफ की मांगों को मानने के मूड में नहीं हैं। देश में चुनाव होने हैं और ऐसे में वह कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। पाकिस्तान पर कुल 240 अरब डॉलर का कर्ज है और ऐसे में आईएमएफ से मिला फंड काफी कम साबित होने वाला है।
अमेरिका स्थित काउंसिल ऑफ फॉरेन रिलेशंस में आर्थिक नीति के जानकार ब्रैड सेटसर के मुताबिक पाकिस्तान के पास मौका है कि वह दिवालिया होने से बच सकता है। पाकिस्तान पर जो विदेशी कर्ज है, उसमें ज्यादातर यानी 100 अरब डॉलर बहुपक्षीय या द्विपक्षीय है, जिसमें पश्चिमी लेनदार भी शामिल हैं। आईएमएफ और चीन का करीब 30 अरब डॉलर कर्ज है और सिर्फ आठ अरब डॉलर यूरो बांड्स हैं। अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन का कहना है कि चीन को पाकिस्तान के लिए कदम उठाना होगा। उनकी मानें तो चीन अब आईएमएफ के साथ होने वाली वार्ता में शामिल नहीं होना चाहता है। इसकी वजह से ही सब कुछ अटका हुआ है।