अल्माटी । पिछले हफ्ते उज्बेकिस्तान के स्वायत्त प्रांत काराकल्पकस्तान में हुई हिंसा के दौरान 18 लोग मारे गए हैं जबकि 243 लोग घायल हुए हैं। उज्बेकिस्तान के अधिकारियों ने कहा बीते 17 सालों में मध्य एशियाई देशों में हुई हिंसा का यह सबसे भीषण मामला है। उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शौकत मिर्जियोयेव ने काराकल्पकस्तान की संप्रभुता और इसके अलग होने के अधिकार से संबधित संविधान के अनुच्छेदों में संशोधन की योजना को स्थगित कर दिया है।  इसके साथ ही, उन्होंने उज्बेकिस्तान के पश्चिमी प्रांत में एक महीने के लिए आपातकाल की भी घोषणा कर दी है। उल्लेखनीय है कि 1 जुलाई को काराकल्पकस्तान क्षेत्र की राजधानी नुकस के बाहरी बाजार क्षेत्र में लोगों ने संविधान संशोधनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया था। आधिकारिक रिपोर्टों में कहा गया है कि प्रदर्शनकारियों ने स्थानीय सरकारी इमारतों को जब्त करने की कोशिश की थी, जिसके बाद हिंसा भड़क उठी थी।
सुरक्षा बलों ने विरोध प्रदर्शन के दौरान 516 लोगों को हिरासत में लिया था, लेकिन अब उनमें से कई को रिहा कर दिया गया है। निर्वासन में चल रहे विपक्षी राजनेताओं और कार्यकर्ताओं के एक समूह ने मिर्जियोयेव के लिए एक अपील प्रकाशित की है। इसमें उन्होंने गिरफ्तार प्रदर्शनकारियों की रिहाई काराकल्पक सरकार को भंग करने और नए चुनाव आयोजित करने का आह्वान किया है।
इसके साथ ही उन्होंने कानून प्रवर्तन एजेंसीयों के कार्यों की समीक्षा का भी आह्वान किया है। उन्होंने अपनी भाषा के खिलाफ भेदभाव और क्षेत्र के इतिहास का दमन और इसके साथ छेड़छाड़ के बारे में भी शिकायत की है। निर्वासन में चल रहे विपक्षी नेता पुलत अहुनोव ने कहा आपातकाल और कड़ी सुरक्षा ने स्थिति को स्थिर कर दिया है, लेकिन अभी भी नृजातीय संघर्ष का खतरा बना हुआ है। रूस जिसके साथ पूर्व-सोवियत उज्बेकिस्तान के घनिष्ठ संबंध रहे हैं, ने कहा कि यह मामला उज्बेकिस्तान का घरेलू मामला है, जबकि यूरोपीय संघ ने काराकल्पकस्तान में हिंसक घटनाओं की एक खुली और स्वतंत्र जांच का आह्वान किया है। राष्ट्रपति मिर्जियोयेव के कार्यालय ने कहा कि उन्होंने अलग से यूरोपीय संघ परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल के साथ इस मामले पर चर्चा की है और उनसे कहा कि हिंसा को आपराधिक तत्वों द्वारा उकसाया गया था।