इंदौर ।  देशभर के शिक्षण संस्थानों में हर साल सैकड़ों शोध होते हैं। इससे प्रदेश, संभाग या किसी जिले को फायदा न हो तो इसका कोई मतलब नहीं। मप्र में एक एकड़ में छह क्विंटल सोयाबीन उत्पादन होता है। ब्राजील में एक एकड़ में 26, अर्जेंटीना में 28 और अमेरिका में 30 क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन होता है। हमारे शिक्षण संस्थानों को सोयाबीन की पैदावार बढ़ाने को लेकर शोध करना चाहिए। ऐसा करने से मालवा और प्रदेश की इकोनामी बदल जाएगी। ऐसा शोध प्रदेश के विकास को नई राह देगा। मैं हमेशा संस्थानों को नीड बेस यानी जरूरत आधारित शोध करने की सलाह देता हूं। यह बात सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री व मुख्य वक्ता नितिन गडकरी ने कही। गुरुवार को खंडवा रोड स्थित सभागृह में देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में आजादी का अमृत महोत्सव के तहत आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ते कदम विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया। मंत्री गडकरी ने कहा कि उद्योग और कृषि देश के विकास में अहम स्थान रखते हैं। भारत की जीडीपी में कृषि का महज 12-13 प्रतिशत का योगदान है। मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री का 22-23 और सर्विस सेक्टर 52-56 प्रतिशत के बीच है। मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने के लिए एक्सपोर्ट को बढ़ाना है। बल्कि वर्तमान परिस्थितियों में सिर्फ इम्पोर्ट किया जा रहा है। देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक्सपोर्ट को ज्यादा से ज्यादा बढ़ाने की जरूरत है। यह तभी संभव होगा जब देश में प्रत्येक वस्तुओं का निर्माण शुरू होगा। इसके चलते केंद्र सरकार स्टार्टअप को प्राथमिकता दे रही है। कार्यक्रम की अध्यक्षता उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने की। मौके पर सांसद शंकर लालवानी और जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट सहित कुलपति डा. रेणु जैन, रजिस्ट्रार अनिल शर्मा और कार्यपरिषद सदस्य डा. विश्वास व्यास भी मौजूद थे।

कोई आदमी बेकार नहीं -

गडकरी ने कहा कि कोई आदमी बेकार नहीं है... और कोई मटेरियल वेस्ट (सामान खराब) नहीं है। आदमी और सामान का उपयोग करने के लिए राजनीतिक दृष्टिकोण होना बहुत जरूरी है। प्रबंधन और नेतृत्व भी अहम है। उदाहरण देते हुए गडकरी ने कहा कि सात साल पहले नागपुर के महापौर को बुलाया और कहा कि सीवरेज का पानी बेचना है। यह सुनते ही उन्होंने कहा कि टायलेट का पानी कौन खरीदेगा और क्यों। बाद में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट डाला। पानी को रिसाइकल करने की शुरुआत की। बाद में यह पानी महाराष्ट्र सरकार को बेचा है और 300 करोड़ रुपये की रायल्टी आने लगी।

राजनीतिक इच्छाशक्ति जरूरी -

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुंबई सी-लिंक बनाने से पहले धीरूभाई अंबानी ने निर्माण को लेकर 3600 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्च बताया था। मैंने 2000 करोड़ रुपये में ब्रिज बनाने पर जोर दिया। इसे लेकर काफी विरोध हुआ। कहने लगे कि इतने कम खर्च में सी-लिंक नहीं बन सकता है। इसे लेकर अंबानी और मेरे बीच काफी बातचीत हुई। राजनीतिक इच्छाशक्ति की बदौलत मैंने प्रोजेक्ट को महज 1600 करोड़ रुपये में बनाया था।

विवि बनाए अपना आइटी पार्क -

उच्च शिक्षा मंत्री यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर के सामने दो आइटी पार्क बने हैं। यहां कंपनियों के दफ्तर खुले हैं। इस बारे में कुलपति से कई बार मेरी चर्चा हुई। मैंने कहा कि तीसरा आइटी पार्क डीएवीवी बनाए। इस दिशा में विश्वविद्यालय ने काम शुरू कर दिया है, जिसमें आइआइटी भी मदद कर रहा है।