इंदौर ।  बाणगंगा क्षेत्र के पुल पर वाहनों की आवाजाही के बीच मंगलवार को काल बनकर आई एक क्रेन ने पलक झपकते ही कई शव बिछा दिए। वाहनों को टक्कर मारने के बाद भी क्रेन रुकी नहीं। फार्मा कंपनी के एचआर विभाग के कर्मचारी सुनील परमार और बच्चों को रौंदते हुए करीब 50 फीट दूर चली गई। शव बुरी तरह बिखर गए। सड़क खून से रंग चुकी थी। यह दृश्य देखने वाले एक पल के लिए सिहर उठे। इंदौर में क्रेन दुर्घटना के बाद पुलिसकर्मियों ने शवों के अंग समेटे और रहवासियों से कपड़े मांगकर ढंका।

पुलिसकर्मी ने आस-पास के लोगों से कपड़े लेकर ढंके शव

टीआइ राजेंद्र सोनी के मुताबिक प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि चालक अनीस तेज रफ्तार में क्रेन एचआर 38बी 2002 चला रहा था। दुर्घटना लगने के बाद आटो रिक्शा तो डेयरी में घुस गया, लेकिन बाइक सवार चपेट में आ गए। इसके बाद भी क्रेन रुकी नहीं और दोनों को घसीटते हुए आगे बढ़ गई। क्रेन के नीचे आने से शवों के टुकड़े सड़क पर बिखर गए। मौके पर पहुंचे पुलिसकर्मी शैलेंद्र मीणा ने शवों को समेटा और रहवासियों से कपड़े (साड़ियां) लेकर ढंका। कुछ देर बाद थाने से बल पहुंचा और सुनील परमार, रितेश किशोरी, राज खोखर और शरद के शव को एमवाय अस्पताल रवाना किया।

क्रेन के नीचे मिला फोन, लगातार बज रही थी घंटी

घायल शारदा कुछ बताने की स्थिति में नहीं थी। उसके दोनों पैरों में फ्रैक्चर हुआ है। वह बार-बार बच्चों के बारे में ही पूछ रही थी। क्रेन के नीचे एक फोन मिला, जिस पर लगातार घंटी बज रही थी। पुलिस ने काल उठाया और बताया कि महिला का एक्सीडेंट हुआ है। काल करने वाले ने हाथ में लगी मेहंदी व कपड़ों के बारे में बताया और कहा कि उसका नाम शारदा है। थोड़ी देर बात पति दिनेश अस्पताल पहुंचा।

थाने के सामने फर्राटे भर रहे भारी वाहन

चार लोगों की मौत ने पुलिस की लापरवाही उजागर कर दी है। जिस जगह हादसा हुआ, वह भारी वाहनों के लिए प्रतिबंधित है। घटना के बाद ट्रैफिक पुलिस और थाना पुलिस एक-दूसरे से जानकारी लेने का बोलकर पल्ला झाड़ती रही। सड़क हादसे और ट्रैफिक जाम को देखते हुए तत्कालीन डीसीपी (ट्रैफिक) महेशचंद जैन ने बाणगंगा ब्रिज से मरीमाता तक भारी वाहनों पर प्रतिबंध लगाया था।

भारी वाहनों को आवाजाही जारी

औद्योगिक क्षेत्र के व्यापारियों को भी इसके लिए हिदायत दी थी। प्रतिबंध के बाद भी भारी वाहन धड़ल्ले से आ-जा रहे हैं। टीआइ राजेंद्र सोनी के मुताबिक व्यापारियों ने रोक का विरोध किया था, जबकि उनसे कहा था कि शाम 4 से रात 10 तक लोडिंग वाहन नहीं आना चाहिए। व्यापारियों ने कहा कि लोडिंग और अनलोडिंग का समय रहता है। पुलिस के निर्देशों को अनदेखा कर व्यापारियों ने भारी वाहनों की आवाजाही जारी रखी। रहवासी लक्ष्मीनारायण पानेरी के मुताबिक शाम 6 से रात 11 तक भारी वाहनों पर प्रतिबंध होना चाहिए।