भोपाल  ।  मुख्यमंत्री निवास परिसर में बुधवार को कोल जनजाति सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्‍मेलन में मुख्‍यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोल समुदाय के लिए कई सौगातों की घोषणा की। सम्मेलन में मध्यप्रदेश राज्य स्तरीय कोल जनजाति प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री रामलाल रौतेल, जिला पंचायत सतना के अध्यक्ष श्री राम खेलावन कोल, जिला पंचायत रीवा की अध्यक्ष श्रीमती नीता कोल, ब्यौहारी विधायक श्री शरद कोल सहित अन्य जनप्रतिनिधि शामिल हुए। सम्‍मेलन के दौरान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कोल जनजाति के हितग्राहियों को ऋण स्वीकृति पत्र भी प्रदान किए। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री शिवराज ने अपने संबोधन में कहा कि यही वह समाज है, जिसने भगवान श्रीराम को भी घर बनाकर दिए। सीएम ने शबरी की कथा भी सुनाई और कहा कि शबरी मैया ने भगवान श्रीराम को चख-चखकर बेर खिलाए थे। बेर लक्ष्मण को भी दिया था। यह समाज अंग्रेजों के खिलाफ भी लड़ा।

सीएम ने कोल समाज को दी सौगातें

सीएम शिवराज ने कहा कि कौलगढ़ी के लिए 3.12 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए। जून के पहले सप्ताह में कौलगढ़ी के पुनर्निर्माण का शुभारंभ करेंगे। हम कौल समाज का सम्मान वापस लौटाएंगे। आप भले और भोले हैं।विकास में जो सबसे पीछे रह गए, मेरे लिए वह सबसे पहले हैं। हम सभी को रहवास के लिए जमीन देंगे। पट्टा और कब्जा दिलाएंगे। इसके लिए सर्वे करवाउंगा। जो रह गए हैं, उन्हें सरकारी है तो ठीक वरना खरीदकर जमीन देंगे। इन्हें आवास के लिए राशि भी देंगे। प्लाट की व्यवस्था करके आवास के लिए अलग सूची बनाएंगे। पीएम आवास में कराने की कोशिश करेंगे। ऐसा नहीं हुआ तो अलग योजना बनाएंगे। प्राधिकरण समाज के बच्चों को पढ़ाने की योजना बनाए।

समाज के उद्धार की चिंता

सीएम ने कहा कि नेताजी आए, भाषण फटकारा और चले गए, पर हमें समाज के उद्धार की चिंता है। स्वरोजगार योजना पर भी ध्यान दें। ऐसी योजनाएं बनाएं जिसके लिए 50 लाख का लोन मिल जाए। मट्टी खोदने, तेंदूपत्ता तोड़ने के लिए तो पैदा नहीं हुए हैं। रोजगार देने वाले बनें। इलाज स्थानीय स्तर पर कराएं, जरूरत हो तो मुझसे पैसे मांगे, मैं इलाज कराऊंगा। मामा किसलिए है। गांवों में टीम बनाकर यह देखें कि समाज के लोगों को सभी लाभ मिल रहे हैं। कौलगढ़ी के कार्यक्रम में समाज के सभी लोग आएं ताकि हम भी अपना विराट रूप दिखाएं। मुख्‍यमंत्री ने घोषणा की कि नौ जून को बिरसा मुंडा के शहादत दिवस पर त्योंथर में कौलगढ़ी के लिए शिलान्यास किया जाएगा।

कोल समाज के महापुरुषों के नाम पर हो बस्‍तियों का नामकरण

इससे पहले कार्यक्रम के मंच से ब्योहारी से विधायक शरद कोल ने कहा कि कोल जनजाति की जमीनों पर कब्जे हैं, उन्हें उनकी भूमि मिल जाए। छोटी-छोटी बातें हैं, जिन्हें दूर किया जा सकता है। कोल मोहल्ला,. कोल बस्ती की जगह समाज के महापुरुषों के नाम पर बस्तियों के नाम रखे जाएं।

मप्र कोल विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष रामलाल रोतेल ने कहा राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास इस सरकार ने किया। हमें समझना होगा कि कोई हमें बरगला न पाए।गौरतलब है कि कोल जनजाति मध्य प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी अनुसूचित जनजाति है। इनका देश की संस्कृति, गौरवशाली परंपरा और स्वंतत्रता आंदोलन में अहम योगदान है। प्रदेश में कोल जनजाति की 10 लाख से भी ज्यादा जनसंख्या मुख्य रूप से रीवा, सतना, शहडोल, सीधी, पन्ना एवं सिंगरौली जिलों में निवास करती है। कोल जनजाति उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्य में भी निवास करती है।