कोलकाता | पश्चिम बंगाल में बढ़ते कोविड मामलों के कारण चुनाव स्थगित करने की कलकत्ता उच्च न्यायालय की सिफारिश को स्वीकार करते हुए राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) ने पहले की घोषित तारीखों को रद्द कर दिया है और 12 फरवरी को चुनाव कराने की घोषणा की है। एक अधिकारी ने शनिवार को यह जानकारी दी। आयोग ने पहले घोषणा की थी कि आसनसोल, बिधाननगर, सिलीगुड़ी और चंदननगर सहित चार नगर निगमों में 22 जनवरी को चुनाव होंगे और परिणाम 25 जनवरी को घोषित किए जाएंगे।

अब इन चारों नगर निगमों में कोर्ट की सिफारिशों के बाद 12 फरवरी को चुनाव होंगे। हालांकि, आयोग ने अभी तक मतगणना की तारीख की घोषणा नहीं की है।

चुनाव स्थगित करने का निर्णय राज्य सरकार द्वारा शनिवार सुबह आयोग को एक पत्र लिखे जाने के बाद लिया गया। पत्र में कहा गया है कि अगर एसईसी राज्य में कोविड की स्थिति को देखते हुए चुनाव को अगले 4 से 6 सप्ताह के लिए स्थगित करने का फैसला करता है, तो उसे कोई आपत्ति नहीं है।

आयोग के सूत्रों ने यह भी संकेत दिया कि वह फरवरी के अंत में अन्य नगर पालिकाओं में चुनाव कराने का इच्छुक है। इस समय 107 नगर पालिकाओं और हावड़ा नगर निगम में चुनाव 22 फरवरी को होने की संभावना है।

आयोग के सूत्रों ने यह भी संकेत दिया कि चुनाव आयोग चुनाव से संबंधित तौर-तरीकों और अन्य पहलुओं को तय करने के लिए आपदा प्रबंधन विभाग से बात कर सकता है।

आयोग के सूत्रों ने कहा कि चूंकि नामांकन समाप्त हो गया है, इसलिए जो तय है, वही रहेगा।

एसईसी के एक अधिकारी ने कहा, "मतदान की तारीख केवल स्थगित कर दी गई है। हम अन्य तौर-तरीकों पर काम करेंगे और बहुत जल्द विवरण की घोषणा करेंगे।"

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने चुनाव स्थगित करने का निर्णय कोविड की स्थिति के कारण चुनाव स्थगित करने मांग वाली याचिका दायर किए जाने के बाद लिया है।

जनहित याचिका एक व्यक्ति बिमल भट्टाचार्य द्वारा दायर की गई है, जिसमें तर्क दिया है कि कोविड-19 की बढ़ती स्थिति को देखते हुए निकाय चुनावों को स्थगित कर दिया जाना चाहिए।

जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश प्रकाश श्रीवास्तव की खंडपीठ ने राज्य सरकार और आयोग से इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने को कहा है।

गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और आयोग ने एक-दूसरे पर जिम्मेदारी थोपने की कोशिश की थी।

आयोग की ओर से पेश अधिवक्ता जयंत मित्रा ने कहा था कि आयोग चुनाव रोकने का फैसला नहीं ले सकता, क्योंकि यह राज्य की जिम्मेदारी है।

मित्रा ने कहा, "कानून के मुताबिक आयोग पूर्व घोषित चुनाव को रद्द नहीं कर सकता लेकिन अगर राज्य में आपदा प्रबंधन कानून लागू होता है तो चुनाव रद्द करना होगा।"

वहीं, राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता ने कहा कि चुनाव रद्द करने का अधिकार सिर्फ आयोग के पास है और राज्य का इससे कोई लेना-देना नहीं है। खंडपीठ ने राज्य सरकार और आयोग, दोनों से इस मामले में समन्वय की कमी रहने के बारे में पूछा।

अदालत ने शुक्रवार को आयोग को इस मुद्दे पर अंतिम फैसला लेने का निर्देश दिया था। अब राज्य सरकार का पत्र आने के बाद चुनाव आयोग को चुनाव स्थगित करने में कोई समस्या नहीं है।