बिलासपुर । व्यापार विहार के व्यापारियो ने फर्जीवाड़ा करने वाले एक एजेंट अंकित अग्रवाल के खिलाफ थाने में शिकायत की,उसके बाद तारबाहर पुलिस ने उसके खिलाफ जुर्म दर्ज कर लिया...मामला यही पर खत्म नही हुआ बल्कि असलियत तब सामने आई जब व्यापारियों ने अंकित से पैसा वसूलने के लिए शुभम का नाम भी घसीटा,मतलब मामले की बारीकी से जांच की जाए तो मालूम होगा कि इस पूरे मामले में जहाँ पर व्यापार विहार के व्यापारियों ने 42 लाख रुपए गबन करने का आरोप अंकित और शुभम पर लगाया है,वह कितना सच और कितना झूठ है,दरअसल व्यापार विहार के व्यापारियों के अनुसार वसूल की जाने वाली राशि 42 लाख रुपए है जबकि अंकित के अनुसार 7 से 8 लाख का देनदारी बकाया है, जो अक्टूबर 2021 के समय का मामला है,हालांकि अंकित ने एजेंट के तहत काम करते हुए व्यापार विहार के व्यापारियों से सामान लिया और अपने क्षेत्र में बेचा है और बेचने के बाद पैसा सामान खरीदने वालों दुकानदारों को जमा नही किया बल्कि पैसा गबन कर लिया,(अंकित के अनुसार) और इसमे आरोपी बनाए गए शुभम का कही कोई भूमिका इसलिए नही है क्योंकि वह सम्बन्ध में व्यापार विहार के व्यपारियो को सिर्फ इतना बोला था कि देख लेना (जो आजकल किसी के लिए भी बोला जाता है) लेकिन उसके द्वारा लिखा पढ़ी में कही कुछ नही है सिर्फ एक दुकानदार के पास रिकार्डिंग है,और उसी के आधार पर व्यापारियो ने दबाव डालकर जुर्म दर्ज करवा दिया.. (खैर इसमे अंकित ने खुद को सरेंडर किया और जुर्म भी कबूल किया की हां मैंने गलती की है और इस गलती का मैं खुद दोषी भी हूँ) और "खासखबर छत्तीसगढ़" से बात करते हुए अंकित ने भी साफ कहा कि इसमे शुभम की कोई भी भूमिका नही है..और बातों बातों में असली खुलासा तब हुआ जब अंकित को लेकर तारबाहर पुलिस कटघोरा,पाली,लेकर गई तो वहां के व्यापारियो नें बताया कि कुछ पैसा को व्यापार विहार के व्यापारी ले गए है,जिंसमे एक चांपा और दूसरा कटघोरा वाला है,जहां पर दाल और शक्कर का पैसा बकाया था,जिसे व्यापारी ले गए है....इधर पुलिस ने भी कुछ पैसा दुकानदारों से वसुल किया और अंकित को कोर्ट में पेश कर जेल भेजा गया,लेकिन जिस दिन अंकित कोर्ट में पेश किया गया था उस दिन चौकाने वाला खुलासा हुआ जब हम बाहर खडे थे और इसी बीच एक व्यापारी ने कहा की कई लोगो ने बिल को बढ़ा कर ज्यादा रकम बना दिया है,और इसी वजह से बिल 42 लाख हो गया है। मतलब कुछ व्यापारियों ने बिल की राशि में कूट रचना कर रकम को बढ़ाया है।