नई दिल्ली ।  भाजपा के एजेंडे में अयोध्या के बाद अब मथुरा शीर्ष पर रहेगा। पार्टी की राष्ट्रीय परिषद की बैठक में श्रीकृष्ण जन्मभूमि का प्रस्ताव लाने की तैयारी है। ठीक वैसे ही जैसे 1989 में श्रीराम जन्मभूमि का प्रस्ताव लाया गया था।दिल्ली के भारत मंडपम में 16 से 18 फरवरी के बीच भाजपा के राष्ट्रीय परिषद की बैठक होगी।
इसमें भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, प्रदेश अध्यक्ष सहित राष्ट्रीय परिषद के 8,000 प्रतिनिधि शामिल होंगे। सूत्र बता रहे हैं कि इस बैठक का प्रमुख एजेंडा श्रीकृष्ण जन्मभूमि का प्रस्ताव हो सकता है।
अभी पार्टी के शीर्ष नेताओं में इस बात को लेकर मंथन हो रहा है कि इस प्रस्ताव को सीधे तौर पर खुद भाजपा पेश करे या फिर किसी अन्य संगठन जैसे विहिप आदि के जरिए लाया जाए। ज्यादातर नेताओं का मानना है कि पार्टी इसे खुद पेश करे और अन्य संगठनों-संस्थाओं से समर्थन का आग्रह करे।
अदालत जाने से पहले मुस्लिम पक्षों से भी बातचीत करेगी भाजपा
भाजपा इस मुद्दे पर कैसे आगे बढ़ेगी? भास्कर के इस सवाल पर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा- जब हम राम मंदिर का प्रस्ताव लाए थे, तब हालात अलग थे। हम विपक्ष में थे, इसलिए हमें लंबी अदालती कार्यवाही से होकर गुजरना पड़ा। अब केंद्र और यूपी, दोनों जगह हम सरकार में हैं। हम मुस्लिम पक्षों से बात करके हल निकालने की कोशिश करेंगे। यूपी सरकार जन्मभूमि को लेकर कानून भी बना सकती है। अदालत जाने का विकल्प सबसे आखिरी होगा।
प्रस्ताव कौन पेश करेगा, इस बात पर भी गहरा मंथन
श्रीकृष्ण जन्मभूमि को लेकर प्रस्ताव कौन लाएगा? इस सवाल पर पार्टी नेताओं का कहना है कि यह एक बड़ा संकल्प है और आने वाले कुछ साल में यह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के सत्ता संतुलन का कारक बन सकता है। एक विचार यह है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की तरफ से प्रस्ताव लाया जाए। दूसरा विचार यह है कि राज्य इकाई प्रस्ताव लाए, जिसका अनुमोदन राष्ट्रीय परिषद करे। तीसरा विचार यह है कि धार्मिक या सांस्कृतिक संगठनों की तरफ से इस बारे में प्रस्ताव लाकर भाजपा से मांग पूरी करने को कहा जाए और फिर उस पर राष्ट्रीय परिषद की मुहर लगाई जाए।