भोपाल ।  विधानसभा चुनाव की आचार संहिता और उसके बाद मंत्रिमंडल विस्तार में देरी के चलते कई बड़े सरकारी काम रुके हुए थे। अब मंत्रिमंडल विस्तार के बाद इन्हें गति तो मिली है, पर विभागों के बड़े काम मंत्रियों को विभाग आवंटित नहीं होने के कारण नहीं हो पा रहे हैं। मोहन कैबिनेट की अभी तक दो बैठकें हुई हैं। इनमें एक परिचयात्मक थी। पहली बैठक में जो निर्णय हुए वह मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाले थे। अब मंत्रियों को विभाग आवंटित होने के बाद विभागों के बड़े कामों में गति आएगी। मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान के नए प्रकरण स्वीकृत नहीं हो रहे थे और न ही पहले से स्वीकृत मामलों में हितग्राहियों को राशि मिल पा रही थी। अब मुख्यमंत्री ने स्वेच्छानुदान शुरू करने के निर्देश दे दिए हैं। विभागों में बजट अनुमान का काम भी नहीं हो पा रहा था, जिसमें अब तेजी आएगी। इसके अतिरिक्त नियुक्तियों के लिए विज्ञापन जारी नहीं हो पा रहे थे।

पुलिस में उपनिरीक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पा रही थी। पांच सौ उप निरीक्षकों की भर्ती होनी है। पुलिस मुख्यालय इसका प्रस्ताव भी कर्मचारी चयन मंडल को भेज चुका है, पर आचार संहिता के चलते विज्ञापन जारी नहीं हो पाया था। इसके अतिरिक्त विभिन्न विभागों के बड़े नीतिगत निर्णय भी अटके हुए थे। मंत्रिमंडल विस्तार और विभाग आवंटन के बाद मंत्रियों को सबसे ज्यादा ध्यान संकल्प पत्र की घोषणाओं को पूरा करने को लेकर रहेगा। मुख्यमंत्री मोहन यादव सभी विभागों को इसके लिए रोडमैप बनाने के निर्देश दे चुके हैं। कुछ विभागों ने इसे तैयार भी कर लिया है। बता दें कि मार्च के पहले पखवाड़े में लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लगने की संभावना है। ऐसे में सरकार संकल्प पत्र के बड़े वादे इस अवधि में पूरा करने का भरपूर प्रयास करेगी।