मुंबई । भारतीय अर्थव्यवस्था को चीन से आगे निकलने के लिए प्रति वर्ष 8 प्रतिशत बढ़ोतरी की जरूरत है। रिपोर्ट के मुताबिक, बार्कलेज पीएलसी ने कहा कि चीन दुनिया की अर्थव्यवस्था में सबसे अहम योगदान देता है, इसके बाद चीन को पछाड़ने के लिए भारत को काफी ज्यादा निवेश की जरूरत है। विशेष रूप से परंपरागत क्षेत्र में निवेश की। बार्कलेज का यह बयान उस समय आया है जब 10 अक्टूबर को आईएमएफ ने अप्रैल-जून के दौरान उम्मीद से अधिक मजबूत खपत का हवाला देकर भारत के लिए अपने वित्त वर्ष 2024 के ग्रोथ अनुमान को 20 आधार अंक बढ़ाकर 6.3 प्रतिशत कर दिया है।
बार्कलेज के वरिष्ठ अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने बताया कि साउथ एशियाई देशों को माइनिंग, ट्रांसपोर्ट, यूटिलिटीज और स्टोरेज जैसे क्षेत्रों में निवेश बढ़ाने के लिए फोकस करना चाहिए। ये सेक्टर्स हैं जिनसे व्यापक अर्थव्यवस्था पर ज्यादा मजबूत असर होगा। वरिष्ठ अर्थशास्त्री बाजोरिया ने कहा कि हाल के साल में टेलीकम्युनिकेशन और डिजिटल सेक्टर जैसे नए उद्योगों पर ज्यादा तवज्जो दी जा रही है और इसकारण परंपरागत क्षेत्रों में निवेश कम हो गया है। उन्होंने कहा, पारंपरिक क्षेत्रों में क्षमता की कमी का मतलब है कि अब उन क्षेत्रों में ज्यादा निवेश की जरूरत है, खासकर केंद्र सरकार की ओर से।
बाजोरिया ने कहा कि विशेष रूप से पारंपरिक क्षेत्रों में ज्यादा निवेश का रोजगार और घरेलू आय पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ना चाहिए, और इससे पॉलिसी मेकर्स को इकॉनमिक ग्रोथ के लिए बेहतर पॉलिसी बनाने में मदद मिल सकती है। 2005-2010 में भारत की अर्थव्यवस्था औसतन लगभग 8 प्रतिशत बढ़ी और अगर नई सरकार व्यापक आर्थिक स्थिरता बनाए रखते हुए ऐसा करने का लक्ष्य रखती है, तो अगले साल के आम चुनावों के बाद यह उस रफ्तार पर लौट सकती है, जैसा कि बार्कलेज ने पिछले महीने एक अलग रिपोर्ट में अनुमान लगाया था। इसका मतलब यह होगा कि भारत ग्लोबल ग्रोथ में सबसे बड़ा योगदानकर्ता बनने और चीन के साथ अपने अंतर को कम करने की स्थिति में होगा। भारत सरकार ने पिछले कुछ वर्षों में इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाया है और चालू वित्त वर्ष में मार्च 2024 तक रिकॉर्ड 10 ट्रिलियन यानी 10 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024-25 तक भारत की अर्थव्यवस्था को 3.7 ट्रिलियन डॉलर से बढ़ाकर 5 ट्रिलियन डॉलर करने की कोशिश कर रहे हैं।