बेंगलुरु । कर्नाटक में कांग्रेस दो फाड़ हो गई है। इससे सत्ता में भारी ग‎तिरोध उत्पन्न हो रहा है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी चाहते हैं ‎कि यह असंतोष ‎किसी भी तरह से समाप्त हो जाए, इसके ‎लिए दो बैठकें प्रस्ता‎वित की गई हैं। गौरतलब है ‎कि यहां विधानसभा चुनाव का रिजल्ट कांग्रेस के लिए बड़ी खुशी लेकर आया था, ले‎किन दो नेताओं के सीएम की कुर्सी को लेकर काफी घमासान हुआ था। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया बने और उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को बनाया गया। हालांकि रिजल्ट निकलने के बाद से लेकर सीएम चुनने के बीच कांग्रेस में घमासान मचा रहा। सिद्धारमैया खुद को सीएम बनाने की मांग कर रहे थे तमाम खींचतान और कांग्रेस में असंतोष शांत करने के लिए सीएम और डेप्युटी सीएम का नाम फाइनल हुआ। अब सरकार चलनी शुरू हुई तो कांग्रेस में फिर से विवाद शुरू हो गया है। बताया जा रहा है कि यहां दो खेमों में बंटे नेताओं के बीच बीते दिनों से फिर असंतोष शुरू हो गया है। आलाकमान ने कर्नाटक इकाई में जारी असंतोष समाप्त करने के लिए दो अगस्त को नयी दिल्ली में राज्य के पार्टी नेताओं की दो बैठकें बुलाई हैं। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, पहली बैठक पार्टी आलाकमान और कर्नाटक के शीर्ष पार्टी नेताओं के बीच होगी।
पदाधिकारी ने बताया कि दूसरी बैठक कांग्रेस के मंत्रियों के साथ होगी, जिसमें पार्टी के कुछ वरिष्ठ विधायक भी हिस्सा ले सकते हैं। पार्टी विधायकों की शिकायतों को दूर करने के लिए कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक बेनतीजा रही, जिसके बाद अब ये दो बैठकें बुलाई गई हैं कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने बताया कि पहली बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, उपमुख्यमंत्री और पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष डीके शिवकुमार, कानून एवं संसदीय कार्य मंत्री एच. के. पाटिल, पार्टी महासचिव के. सी. वेणुगोपाल और रणदीप सिंह सुरजेवाला समेत कुछ अन्य शीर्ष पदाधिकारी शामिल होंगे। 
कांग्रेस विधायक कथित तौर पर इस बात से नाराज हैं कि उनके निर्वाचन क्षेत्रों में कोई विकास कार्य नहीं हो रहे हैं। बैठक के दौरान उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मंत्री उन्हें समय नहीं दे रहे हैं और उनकी समस्याओं का समाधान नहीं कर रहे हैं। कांग्रेस के एक अन्य सूत्र ने कहा कि इन विधायकों ने हस्ताक्षर अभियान भी चलाया था, जिससे पार्टी नेताओं ने सही नहीं माना था। यहां तक कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सीएलपी बैठक के दौरान उन्हें चेतावनी दी थी कि वे ऐसी रणनीति का सहारा न लें, क्योंकि इससे सरकार की बदनामी होती है। कर्नाटक के गृह मंत्री डॉ. परमेश्वर ने इस बात से इनकार किया कि सीएलपी बैठक के दौरान कोई असहमति थी।