भोपाल । प्रदेश भर में खाद-बीज, सार्वजनिक वितरण प्रणाली के अंतर्गत खाद्यान्न वितरण और उपार्जन का काम करने वाली सहकारी समितियां अब किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित करने का काम भी करेंगी। साथ ही जैविक खाद के उत्पादन और विपणन व्यवस्था से भी जुड़ेंगी। इसके लिए चार हजार 536 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों को नवगठित होने वाले राज्य जैविक सहकारी महासंघ का सदस्य बनाया जाएगा। महासंघ के गठन के लिए पंजीयक राज्य सहकारी संस्थाएं को आवेदन किया जा चुका है। प्रदेश में जैविक खेती का कुल क्षेत्र 16 लाख 37 हजार हेक्टेयर है। वर्ष 2021-22 में जैविक उत्पाद का उत्पादन 14 लाख टन रहा है। पांच लाख टन से अधिक जैविक उत्पाद निर्यात किए गए थे। इसे और विस्तार देने के लिए सरकार ने जैविक कृषि को प्रोत्साहित करने कृषि, उद्यानिकी के साथ सहकारिता विभाग को जोड़ा है। सहकारिता विभाग ने केंद्र सरकार की पहल पर नए क्षेत्रों में सहकारी समितियां गठित करने की कार्ययोजना बनाई है। इसके अंतर्गत जैविक सहकारी महासंघ का गठन किया जा रहा है। इसमें नई समितियां बनाने के साथ सभी प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों को सदस्य बनाया जाएगा ताकि वे किसानों को जैविक खेती के लिए प्रेरित कर सकें। प्रदेश की सहकारी समितियों से 50 लाख किसान जुड़े हैं। इसे देखते हुए सहकारी समितियों को महासंघ का सदस्य बनाया जा रहा है। समितियां उत्पाद की ब्रांडिंग और मार्केटिंग का काम देखेंगी। किसानों को खाद-बीज उपलब्ध कराएंगे और विपणन केंद्र के रूप में काम भी करेंगी। दरअसल, अभी सबसे बड़ी समस्या जैविक उत्पाद के विपणन की ही है। यही कारण है कि किसान जैविक खेती करने के लिए आसानी से तैयार नहीं होते हैं।इस बारे में महासंघ के संचालक मनीष जोशी का कहना है कि पंजीयन के लिए सभी औपचारिकताएं पूरी करके आवेदन कर दिया है। यह प्रक्रिया पूरी होती है महासंघ की गतिविधियों को तेजी से विस्तार दिया जाएगा। कुछ समितियों को खाद बनाने के काम में भी लगाया जाएगा। इसके लिए प्रस्तावित गोबरधन योजना से इन्हें जोड़ा जाएगा। पशुपालन विभाग गोशालाओं में गोबर, गोमूत्र खरीदने और उससे खाद बनाने की योजना तैयार कर रहा है।