मॉस्‍को । अभी हाल ही में रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन ने अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से मुलाकात की। इस मुलाकात के कई मतलब दुनिया के अलग-अलग विशेषज्ञों ने निकाले। अब खबर है कि चीन को अपने परमाणु हथियारों के लिए रूस की मदद मिल सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार रूस चीन को फास्ट ब्रीडर परमाणु रिएक्टर टेक्‍नोलॉजी देने की योजना बना रहा है। यह योजना अगर अपने अंजाम पर पहुंचती है तो चीन को अपने परमाणु हथियारों को डेवलप करने में बड़ी मदद मिलेगी। साथ ही पश्चिमी देशों के साथ परमाणु हथियारों की रेस में आगे बढ़ने में भी उसे मदद मिलेगी।
मीडिया के अनुसार पुतिन और जिनपिंग ने परमाणु हथियारों के लिए प्लूटोनियम उत्पादन के लिए अनुकूलित फास्ट ब्रीडर परमाणु रिएक्टरों को विकसित करने के लिए दीर्घकालिक समझौते की घोषणा की है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर 2022 में रूस की कंपनी रोसाटॉम जो न्‍यूक्लियर एनर्जी तैयार करने वाली कंपनी है, उसने चीन के सीएफआर-600 परमाणु रिएक्टर को 25 टन समृद्धित यूरेनियम स्थानांतरित किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इतने यूरेनियम की मदद से एक साल में 50 परमाणु हथियार बनाए जा सकते हैं।
अमेरिकी रक्षा विभाग के अधिकारियों और अमेरिकी मिलिट्री विशेषज्ञों का अनुमान है कि सीएफआर -600 रिएक्‍टर चीन के परमाणु हथियरों की संख्‍या साल 2035 तक 1500 तक कर देगा। वर्तमान समय में यह 400 ही है। चीन ने इस आकलन को खारिज कर दिया है। चीन के अनुसार सीएफआर-600 असैन्‍य बिजली ग्रिड से जुड़ा है। 440 बिलियन अमेरिकी डॉलर वाले इस कार्यक्रम के जरिए वह एक दशक के न्‍यूक्लियर एनर्जी उत्‍पादन में अमेरिका से आगे निकलने की योजना बना रहा है। जिनपिंग ने पुतिन के साथ मीटिंग में ऐलान किया कि चीन की तरफ से रूस को परमाणु सहायता में इजाफा किया जाएगा। 
रूस परमाणु रिएक्टरों और ईंधन का दुनिया का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। चीन के तेज रिएक्टर, जो पानी के बजाय लिक्विड मेटल का प्रयोग करते हैं, मध्यम संचालन के लिए रूसी तकनीक पर आधारित हैं।