लखनऊ   यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले ही समाजवादी पार्टी की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। कोविड प्रोटोकॉल के तहत चुनाव आयोग ने किसी भी राजनीतिक पार्टी को रैली और जनसभा की अनुमति नहीं दी है। लेकिन, बीते दिनों लखनऊ में वर्चुअल रैली के नाम पर भारी-भरकम भीड़ जुटाने के आरोप में चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी को नोटिस जारी किया है। मामले में 24 घंटे के अंदर जवाब मांगा है।

लखनऊ में वर्चुअल रैली के नाम पर भारी-भरकम रैली आयोजित करने के आरोप में चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी को कोविड के दिशानिर्देशों के उल्लंघन के लिए नोटिस जारी किया है। पार्टी ने 14 जनवरी को अपने कार्यालय में एक विशाल जनसभा आयोजित की थी। चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी को जवाब देने के लिए 24 घंटे का समय दिया है, अगर इस वक्त पर जवाब नहीं आया तो आयोग कार्रवाई कर सकता है।

गौरतलब है कि चुनाव आयोग (ईसीआई) ने 8 जनवरी को देश के कुछ हिस्सों में कोविड -19 मामलों में वृद्धि के मद्देनजर शारीरिक रैलियों पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी। शनिवार को इस प्रतिबंध को 22 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया गया।

दूसरी ओर बीते शुक्रवार को लखनऊ पुलिस ने रैली में शामिल हुए समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। लखनऊ के पुलिस आयुक्त के मुताबिक, लगभग 2,500 समाजवादी पार्टी के नेताओं के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 188, 269, 270 और 341 के तहत महामारी रोग अधिनियम की संबंधित धाराओं के साथ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। शहर के पुलिस प्रमुख ने कहा कि इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने से पहले वीडियो साक्ष्य हासिल किए गए थे। रैली के दृश्यों में लखनऊ पुलिस को एसपी कार्यालय के बाहर जमा भीड़ को साफ करते हुए दिखाया गया है।

समाजवादी पार्टी का बचाव

इस बीच, समाजवादी पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई के प्रमुख नरेश उत्तम पटेल ने कहा, "यह हमारे पार्टी कार्यालय के अंदर की एक रैली थी। हमने किसी को नहीं बुलाया लेकिन लोग आए। हालांकि लोगों ने कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया।" उन्होंने कहा कि भाजपा के मंत्रियों के दरवाजे और बाजारों में भी भीड़ थी, लेकिन उन्हें हमसे ही समस्या है।